Love Definition

Posted by Duty Until Death | 2:50 AM | 0 comments »

प्रेम एक अनूठी भावना होती, परिभाषा में बांधना संभव नहीं होता इसे ! कुछ प्रेम को निर्मल और निष्पाप बताते हैं तोह कुछ इसे वासना का प्रारब्ध समझते हैं, कुछ के लिए प्रेम एक दिव्य अनुभति है तोह कुछ इसे मात्र एक उत्तेजना या भावनाओं का आवेश कहते हैं ! प्रेम एक सागर सामान है जिसमे सभी भावनाओं का समागम हो जाता है ! भावनाओं के मिलने के बाद अगर कुछ रह जाता है तोह वोह बस प्रेम है ! प्रेम न बड़ा होता है न छोटा प्रेम न जाती देखे न माया , प्रेम न रंग रूप देखे न काया , प्रेम न समाज देखे न परिवार , प्रेम न भूत देखे न भविष्य, प्रेम तोह बस अपने प्रेम को देखे !

प्रेम को देखना हो तोह राधा कृष्ण को देखो! नन्दलाल की छवि ऐसी मनभावन की जोह देखे बस मोहित हो जाए ! हमारे सांवरे से कान्हा को तोह कोई भी देखे और प्रेम किये बिना रह जाए, न हो सके है ऐसा, मेरे गिरधर गोपाल की बंसी पर तोह तीन लोक नाचे मगर कान्हा का मन तोह सिर्फ राधे राधे बोले और राधे राधे गाये ! कन्हैया ने ऐसे प्रेम दिया राधा रानी को की बस अपना सब कुछ दे बैठे ! प्रेम को पा न सके कान्हा तोह क्या हुआ देखो न आज भी नाम उनका राधेश्याम ही लिया जाता है ! कृष्ण का राधा प्रति प्रेम ऐसा था की कन्हैया अपना सब कुछ लुटा बैठे! कालिया के फन पर नाचने वाले खुद राधा के लिए रास करे! अनूठी कहानी है राधा कृष्ण की , अब भगवान् को उनका प्रेम न मिला तोह भक्त कैसे पा सके है अपने प्रेम को...कन्हैया का प्रेम भी अनूठा था सब से प्रेम करते और प्रेम निभाते भी थे ! अब भगवान् जोह ठहरे!
माँ यशोदा तोह कन्हैया के प्रेम में बावली होगयीं, तोह हमारे कान्हा पीछे रहने वाले , पैदा हुए तोह देवकी नंदन कहलाये , और गोकुल में शैतानियाँ कर के छुप जाते थे यशोदा मैय्या के आँचल में और मैया भी कैसी.... देखो पूरा गोकुल बुरा हो गया पर कान्हा में कोई खोट न नजर आवे है माँ को ! माखन बनावे हैं और नैनो से निहारे है अपने बांके बिहारी का रास्ता की कब आये और माखन लगावे मैय्या को माखन खाए के लिए ,

प्रेम माँ बेटे का नहीं प्रेम प्रेमिका का नहीं प्रेम की भावना का आदर तोह कृष्ण ने उन लोगों का भी किया जोह मुरलीधर की बांसुरी की धुन में खोगये...बांसुरी की एक ऐसी ही दीवानी थी मीरा ! मीरा की माँ ने बचपन में कान्हा को सौंप दिया था उसको यह कह कर की यही है तुम्हारे पति तबसे मीरा ने अपने मन मंदिर में कान्हा की मूरत को ऐसे बसाया जैसे मानो वोह एक पत्थर की मूरत न हों के उसके हृदय का एक अभिन्न अंश हो! कान्हा तोह हमारे प्रेम भूके हैं जहाँ प्रेम मिलते बस वहीँ बस जाते हैं जोह प्रेम देता बस उसके ही होजाते हैं , मीरा ने अपना सब खुछ सौंप दिया था कान्हा हो तोह कनाहिया ने उसका आदर किया ! ज़हर दिया लोगों ने मीरा को यह कह कर की प्रसाद है कृष्ण का मीरा ने आदर से ग्रहण करा अब जब प्रसाद कान्हा का हो श्रद्धा मीरा की तोह ज़हर मारे किसे ! न कान्हा मीरा के प्यार को मरने देवे हैं और न ही मीरा अपनी कृष्ण भक्ति को! यह पहला प्रेम था जोह प्रेम से भक्ति भाव में बदल गया!

प्रेम का दीदार करना हो तोह एक बार नज़र भर के ताजमहल को देख लो, मानो बनाने वाले को पता हो की शाहजहाँ के मन में कौन बसा हुआ है! यह शाहजहाँ का ही अद्भुत प्रेम का अद्वित्य स्वरुप है है जोह आज की दुनिया में भी लोग पत्थर में भी प्रेम देख लेते हैं! सफ़ेद संमर्मर में प्रेम को अमर करदिया एक प्रेमी पति ने अपनी मल्लिका के लिए...किसी शायर ने खूब कहा है " की कमबख्त ताजमहल तोह कोई भी बनवा सकता है पर हर किसी की तकदीर में मुमताज़ नहीं होती...प्रेम श्वेत है स्वच्छ है प्रेम निष्पाप है प्रेम निष्कपट है , प्रेम में दोष नहीं देते प्रेम में आक्रोश नहीं होता, प्रेम में लेन देन नहीं होता , प्रेम में अगर कुछ होता है तोह वोह है बस प्रेम और कुछ भी नहीं

इंसान को अगर जन्नत नसीब होती तोह वोह तब जब वोह इंसान सच्चे मन से उपरवाले को याद करता है , किसी इंसान ने मुझसे कहा था की अमोघ अगर तुमने प्यार किया है किसी को सच्चा प्यार किया है तोह बेटा तुम्हरे लिए जन्नत के दरवाज़े खुल गए हैं, इस पर मैं धीरे से मुस्कुराया और बोला की सर अगर मेरे जैसा पापी जन्नत चला गया तोह जन्नत मैली हो जायेगी, वोह इंसान मुझसे बोला बेटा उपरवाला न बहुत प्यार करता है उनसे जोह उसके बनाये हुए लोगों से प्यार करते हैं. वोह बोले की बेटा प्यार में इंसान भगवान् को याद करता है तब जब उसको उसका प्यार मिल जाय तोह भगवन को हर पल याद करता है और शुक्रिया अदा करता है और तब भी दिल से या डकारता जब वोह अपने प्यार से मांगता है और तब तोह सबसे ज्यादा दिल से याद करता है जब उसका प्यार उसको नहीं मिलता, मैं बोला की सर तब तोह इंसान कोसता है ऊपर वाले से, लड़ता है गाली भी दे देता है , तोह वोह बोले की बाबु लड़ते तोह हम उसी से हैं ना जिसको अपना समझते हैं , हम परायों से नहीं लड़ते. और जब इंसान भगवान् को अपना समझे तभी भगवान् उसके होते हैं. यह सोच ऐसी थी की हमे लगा की यार हम प्यार के लिए किस किस लड़ गए भगवान् तक को न छोड़ा ! वाह रे बेशर्म अब ऊपर जाके माफ़ी मांगनी पड़ेगी, पर देखो न कोई हमसे बोला थी की माफ़ी मांगने से हम छोटे नहीं होते माफ़ करने वाला बड़ा हो जाता है ! प्यार एक ऐसी नदी है जोह आपको बहाती तोह है पर डूबती नहीं तैरना सिखाती है..हमारे प्यार ने हमे माफ़ी माँगना सिखाया, हमे यह सिखाया की प्यार इज्ज़त देता है उजाड़ता नहीं, प्यार तकलीफ नहीं देता प्यार से तोह सब तक्लीफ्यें दूर हो जाती हैं ! प्यार बंधन नहीं बनाता , प्यार प्रतिशोध लेना नहीं सिखाता , प्यार सौम्य होता है प्यार बस प्यार होता है !

एक बात और प्यार हम ज़िन्दगी में सिर्फ एक बार करते हैं , दुबारा सिर्फ समझौता होता है प्यार नहीं !

उस नेक इंसान ने एक बात और बोली थी की अमोघ प्यार कभी ज़िन्दगी ख़राब नहीं करता अगर आपको आपका प्यार मिल गया तोह आप को एहसास होता है की आप ज़िन्दगी में बहुत बड़ी सफलता पा ली है! फिर आप ज़िन्दगी के हर कदम पर सिर्फ सफलता ही ढूढते हो और उसको पाने के लिएमेहनत करते हो , और अगर तुमको प्यार नहीं मिला तोह दिल इतना सख्त हो जाता है की फिर ज़िन्दगी की बड़ी से बड़ी चोट इंसान आराम से झेल जाता है ! प्यार से नुक्सान नहीं सिर्फ प्यार ही मिलता है ! हम जब किसी को प्यार करते हैं तोह बस उसके ही हो जाते हैं !

मैंने उस इंसान की बात को समझा और सोचा की यह सोच आप के साथ भी बांटूं सो लिख दिया,

कोई मिलता मुझसे तोह बस तुम से मिला करता है......
मेरी आँखों में तू एक ख्वाब की तरह रहता है
न खोलूँ इन आँखों को की कहीं ख्वाब न टूटे दिल का
मेरी इन आँखों अब बस तेरा अक्स रहता है .....


Note :: This content is taken from Internet.


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